
अमृतसर, 4 सितंबर(राजन): पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अभियान के दौरान, नगर निगम अमृतसर के एमटीपी विभाग में एनओसी जारी करने और बिल्डिंग के नक्शे की मंजूरी से संबंधित घिनौनी सांठगांठ का पर्दाफाश किया है। इस मामले में, ब्यूरो ने अमृतसर के छेहरटा निवासी एक आरटीआई कार्यकर्ता सुरेश कुमार शर्मा को गिरफ्तार किया है, जो एमटीपी अधिकारियों के लिए एक एजेंट के रूप में काम कर रहा था और आवेदकों से आरटीआई आवेदन दाखिल करके और फिर नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से उन्हें वापस लेकर पैसे वसूलता था।
अलग-अलग नामों से आरटीआई आवेदन दायर किया था
विजिलेंस ब्यूरो के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने रेलवे लिंक रोड, अमृतसर में एक मौजूदा ढांचे को तोड़कर एक दुकान का निर्माण किया था और नगर निगम अमृतसर की एमटीपी शाखा से एक मंजिल के लिए मंजूरी प्राप्त की थी। अतिरिक्त निर्माण के लिए, उसने अब एमटीपी अधिकारियों से संपर्क किया, जिन्होंने उसे एक संशोधित नक्शा जमा करने की सलाह दी। लेकिन उसके द्वारा दाखिल किए गए नक्शे को एटीपी परमिंदर सिंह ने दो बार यह कहकर खारिज कर दिया कि उक्त सुरेश कुमार शर्मा ने उसके प्रोजेक्ट के खिलाफ अलग-अलग नामों से आरटीआई आवेदन दायर किया था। इस एटीपी ने शिकायतकर्ता से कहा कि अगर वह अपनी फाइल क्लियर करवाना चाहता है, तो उसे सुरेश शर्मा से संपर्क करना चाहिए।
विजिलेंस ब्यूरो की एक टीम ने जाल बिछाया
शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि जब उसने शर्मा से संपर्क किया, तो उसने पहले इन शिकायतों को वापस लेने के लिए 7 लाख रुपये की मांग की, लेकिन उसे समझाने के बाद, सौदा 4 लाख रुपये में तय हो गया। प्रवक्ता ने आगे बताया कि शिकायत के प्रारंभिक वेरीफिकेशन के बाद, विजिलेंस ब्यूरो की एक टीम ने जाल बिछाया और दो सरकारी गवाहों की मौजूदगी में आरोपी को 4 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।
सुरेश कुमार द्वारा की जा रही ब्लैकमेलिंग के बारे में जानकारी देने के लिए ब्यूरो से संपर्क कर सकते हैं
आरोपी के विरुद्ध विजिलेंस ब्यूरो के अमृतसर रेंज थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। आरोपी को कल सक्षम न्यायालय में पेश किया जाएगा। विजिलेंस ब्यूरो ने जनता से अपील की है कि यदि कोई व्यक्ति उक्त आरोपी सुरेश कुमार द्वारा की जा रही ब्लैकमेलिंग के बारे में अधिक जानकारी देना चाहता है तो वह ब्यूरो से संपर्क कर सकता है और ऐसे लोगों की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी।
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