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डंप में बायोरेमेडीएशन, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने में कंपनी पूरी तरह से विफल

अमृतसर,12 मई (राजन): नगर निगम ने शहर में डोर टू डोर और कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट से कूड़ा उठाने, भगतावाला डंप से कूड़े के पहाड़ को बायोरेमेडीएशन के माध्यम से हटाने और इस जगह पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लाने का कॉन्ट्रैक्ट किया हुआ है। सभी फॉरेमेंट में कंपनी विफल नजर आ रही है। जिसमें भगतांवाला डंप से कूड़े का पहाड़ बढ़ता ही चला जा रहा है। डंप खाली करने के लिए कई बार मियाद बढ़ाई जा चुकी है। वहीं पिछले 8 बरसों में की गई तामाम कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं और कूड़ा कम होने की बजाए इस वक्त करीब 19 लाख मीट्रिक टन हो गया है। बायोरेमेडीएशन पिछले 13 महीने से लगातार बंद पड़ी हुई है।

फरवरी 2019 में डंप पर बायोरेमिडेशन का काम शुरू हुआ था

फरवरी 2019 में डंप पर बायोरेमिडेशन का काम शुरू किया गया था, जिसमें से कुल 3 लाख मैट्रिक टन कूड़े की बायोरेमेडीएशन हो गई। वहीं 5 साल में कूड़े का लेवल कम होने की बजाय मौजूदा समय में एक बार फिर 19 लाख मीट्रिक टन से भी अधिक कूड़ा जमा हो चुका है।

आरडीएफ का बहाना

कंपनी का कहना है कि पहले से ही बायो रेमिडेशन की वजह से काफी रिफ्यूज्ड डिराइन्ड फ्यूल (आरडीएफ) इक्टठा हो चुका है, जिसमें आग लग सकती है। जिन फैक्टरियों में आरडीएफ का फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है। जबकि आरडीएफ का एक बहाना बनाया जा रहा है। भीषण गर्मी में आमतौर पर कूड़े के डंप में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही थी। आरडीएफ को आग लगने की कभी कोई घटना नहीं आई। अभी तक किसी ने भी आरडीएफ की पूरी तरह से जांच नहीं करवाई है कि इस आरडीएफ में क्या-क्या पदार्थ है और कितनी मिट्टी है। इसकी जांच की रिपोर्ट आने के बाद सभी कुछ खुलासा हो सकता है।

बायोरेमेडीएशन करने की बार-बार मोहलत मिलने के बावजूद भी नहीं निकला हल 

5 साल में  कंपनी को बायोरमेंटेशन करने की बार-बार मोहलत मिलने के बावजूद भी इसका भी कोई हल नहीं निकला है। कंपनी ने 4 लाख मीट्रिक टन बायोरेमिडेशन की, वो भी बेकार गई म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्लयू) कंपनी का निगम के साथ सबसे पहले 18 मार्च 2016 को एग्रीमेंट हुआ था।जिसमें कंपनी ने 2 साल तक डंप साइट क्लियर करने की बात कही थी। वहीं वित्तीय संकट की वजह से इस कंपनी को दुबई की अवरडा कंपनी ने टेकओवर किया था। जिसमें कंपनी ने निगम के साथ 19 जून 2020 को नए सिरे से एग्रीमेंट किया था। इसमें कंपनी ने इंफ्रास्ट्रक्टर अपग्रेड करके 31 अक्टूबर 2022 तक डंप साइट क्लियर करने की बात कही थी। वहीं बॉयो रेमिडेशन की धीमी गति और पूरी मशीनरी नहीं चलाने की वजह से यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। कंपनी ने बरसात और अन्य मुश्किलों का हवाला देते हुए बाद में मार्च 2023 तक डंप साइट क्लियर करने की बात कही थी। इसके बाद फिर कंपनी ने एनजीटी मानीटरिंग कमेटी से डंप साइट क्लीयर करने को लेकर फिर से 30 सितंबर तक मोहलत मांगी थी। कंपनी मशीनें चलाने के लिए बिजली कनेक्शन लिया । मगर इसके बावजूद बायो रेमिडेशन की स्पीड नहीं बढ़ाई जा सकी।

डंप में लगातार आग लगेगी

विगत दिवस डंप में भीषण आग लग गई थी। जिसे 15 फायर ब्रिगेड की गाड़ियों द्वारा 10 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद काबू पाया गया। डंप में लगातार आग लगती ही जाएगी। डंप में लगभग 19 लाख मैट्रिक टन लगातार खड़ा रहने से इस डंप में से लगातार गैस निकलती जाती है। इस गैस को अगर 30 डिग्री तापमान लगने से आग निकालनी शुरू हो जाती है। आज भी डंप में तीन-चार जगह पर आग लगी। जिसे फायर ब्रिगेड की गाड़ी द्वारा बुझाया जा रहा है। अब नगर निगम को पक्के तौर पर एक फायर टेंडर डंप के साथ खड़ा रखना होगा।

हाई कोर्ट में केस 1 वर्ष पहले निगम के हक में आया 

कंपनी द्वारा बायोरेमेडीएशन करके जमीन का काफी हिस्सा कलियर करने के उपरांत इस जगह पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाना था। किंतु कंपनी द्वारा 25 एकड़ जगह न होने के कारण वेस्ट  टू एनर्जी प्लांट नहीं शुरू कर पाई। कंपनी द्वारा कहा गया कि वेस्ट टू एनर्जी  प्लॉट लगाने वाली जगह का मामला हाई कोर्ट में चल रहा है। इस जमीन को लेकर एक प्राइवेट पार्टी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की हुई थी। किंतु एक वर्ष पहले हाई कोर्ट ने नगर निगम अमृतसर की हक में निर्णय दे दिया हुआ हैं। वैसे भी तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर कुमार सौरव राज द्वारा डेढ़ वर्ष पूर्व डंप वाली जमीन की डिजिटल मैपिंग एक लुधियाना की कंपनी से करवाई थी। इस डिजिटल मैपिंग में भी 24 एकड़ से अधिक जमीन बनती है।

हाई कोर्ट से नगर निगम के हक में आए निर्णय की कॉपी।

इस वक्त कंपनी बुरी तरह फ्लॉप हो चुकी

इस वक्त डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली कंपनी पूरी तरह से फ्लॉप हो चुकी है। वेस्ट टू एलर्जी प्लॉट लगाना, बायोरेमेडीएशन करना तो बहुत दूर की बात है। कंपनी द्वारा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन भी नहीं हो पा रहा है। कंपनी ने इस वक्त लगभग  9.5 करोड़ रूपया अलग-अलग कंपनियों का देना है। कंपनी द्वारा इसका भुगतान नहीं किया जा रहा है। कंपनी का अपने अधिकारियों और मुलाजियों के ऊपर से भी  कंट्रोल खत्म होता जा रहा है।

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