
अमृतसर,4 मार्च(राजन): अमृतसर बल्क वाटर स्पालई प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम कमीश्नर गुलप्रीत सिहं औलख के दिशा-निर्देश के अनुसार तथा प्रो. (डा.)कर्मजीत सिहं, वाईस चांसलर, जी.एन.डी.यु के नेत्तृतव में नगर निगम और गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग और स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा जल सरंक्षण और अमृतसर में पानी की निर्भरता के लिए भूजल की जगह सतही जल की जरूरत पर एक जागरूकता सैमिनार करवाया गया। लार्सन एंड टूब्रो कंपनी के सहयोग से करवाए गए इस सैमिनार का उदेश्य छात्रों को अमृतसर बल्क वाटर स्पलाई स्कीम के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ जल सरक्षंण के बारे में जागरूक करना था। कार्यक्रम की शुरुआत स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज की विभागाध्यक्ष प्रो. अंजलि मेहरा द्वारा आई हुई टीम तथा वक्ताओं के स्वागत से की गई।

प्रदेश के 153 ब्लॉकों में से 117 को डार्क जोन घोषित किया गया है
इस अवसर पर रमन शर्मा ने बताया कि पजांब में भूजल का स्तर काफी तेजी से नीचे जा रहा है। वॉटर रिसोर्स ऑफ पंजाब 2022 रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 153 ब्लॉकों में से 117 को डार्क जोन घोषित किया गया है। अमृतसर जिले के सभी दस ब्लॉक डार्क जोन में घोषित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अमृतसर के शहरी क्षेत्र में ही भूजल कि निकासी तीन सौ प्रतिशत से ऊपर चली गई है। जिस कारण शहर में पानी के स्पालई के लिए ज्यादा समय तक भूजल पर निर्भर नही रहा जा सकता। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार द्वारा शहर में स्थायी और सुरक्षित जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अमृतसर बल्क वाटर स्पालई प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई है। जिसके तहत आने वाले समय में यू.बी.डी.सी नहर के पानी को साफ करके पानी की स्पालई की जाएगी। जिसके तहत वल्ला में 44 करोड़ लीटर क्षमता वाले वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण, 112 लंबी पाइपलाईन बिछाने के साथ-साथ 51 नई टैंकियों का निर्माण किया जा रहा है।

अपने दैनिक जीवन में कुछ बदलाव करे तो आसानी से जल सरक्षंण कर सकते हैं
वहीं डॉ. मोनिका सभ्राभाल ने भूजल से सतही जल के होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में बहुमूल्य जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि अमृतसर बल्क वाटर स्पालई प्रोजेक्ट के तहत स्पालई होने वाले पानी की गुणवत्ता भारतीय मानक ब्युरो (आईएस)10500:2012 के स्तर की होगी। उन्होंने बताया की अगर हम अपने दैनिक जीवन में कुछ बदलाव करे तो आसानी से जल सरक्षंण कर सकते हैं, जैसे वाशिंग मशीन को उसकी पूरी क्षमता में प्रयोग करना, नहाने के लिए शावर का प्रोयग ना करके बाल्टी का प्रयोग करना, छत में पानी की टैंकियों में ओवरफ्लों अलार्म लगाना, घरों में लीक होने वाले नल को समय रहते ठीक करवाना, गाड़ी धोने के लिए सीधा पानी की जगह गीले कपड़े का प्रयोग करना आदि तरीकों के बारे में बताया गया। अंत में डॉ. रचना शर्मा और डॉ. गुरशमिंदर सिंह बाजवा ने आमंत्रित अतिथियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। इस मौके पर प्रो. बिक्रम सिंह बाजवा, प्रो. राजिंदर कौर, प्रो. दलबीर सिंह सोगी, डॉ. मनजोत कौर, डॉ. निर्मला, डॉ. योगेश, डॉ. दिवजोत कौर, डॉ. नैन्सी, अश्विनी शर्मा, बनाप्रिया आदि भी उपस्थित थे।
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