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सर्वे के अनुसारः शहर में मात्र 2.6 सवारी प्रति आटो के साथ चल रहे डिमांड से अधिक ऑटो-रिक्शा

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत इस साल जनवरी-फरवरी में 30 दिनों तक करवाया गया था सर्वे

बस स्टैंड के बाहर ट्रैफिक व्यवस्था का दृश्य।

अमृतसर, 20 अगस्त (राजन): शहर में हजारों की सख्यां में चलने वाले ऑटो-रिक्शा की औसत ओक्युपैंसी सिर्फ 2.6 सवारी प्रति ऑटो है। यह नतीजे इसी साल लॉकडाउन से पहले करवाऐ गए ट्रैफिक सर्वे से निकलकर आए हैं। जनवरी और फरवरी महीनें में शहर के 99 अलग-अलग स्थानों में यह ट्रैफिक सर्वें लगातार 30 दिनों के लिए करवाया गया था। अमृतसर स्मार्ट सिटी द्वारा डीजल, सीएनजी, एलपीजी ऑटो और ई-रिक्शा को लेकर कराए गए इस सर्वे में सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक शहर में हर ऑटो और उसमें बैठे हुए यात्रियों की गिनती की गई थी। अक्सर देखा गया है की कई बार ऑटो रिक्शा क्षमता से अधिक सवारियां बिठाकर ओवर लोड होकर चलते हैं। लेकिन अगर एक ऑटो रिक्शा की प्रति ट्रिप सवारी की औसत निकाली जाए तो वो सिर्फ 2.6 है, जोकि शहर में चलने वाले ऑटो रिक्शा की सवारी क्षमता का आधा ही है। क्योंकि शहर में चलने वाले ऑटो-रिक्शा फाईव प्लस वन कैटेगेरी वाले हैं।
स्मार्ट सिटी की सीईओ व नगर निगम कमिश्नर कोमल मित्तल ने बताया कि यह सर्वे जनवरी-फरवरी में करवाया गया था, क्योंकि उस वक्त शहर में सबसे अधिक टूरिस्ट आते हैं और यही सही वक्त था, जिससे कि ऑटो रिक्शा की आक्युपैंसी की स्टीक जानकारी मिल पाती। उन्होंने कहा कि एक महीनें तक चले इस सर्वें में शहर के 99 स्थानों पर चल रहे ऑटो रिक्शा और उसमें बैठी सवारियों की गिनती की गई थी जिनमें से 20 प्रतिशत ऑटो रिक्शा बिना किसी सवारी के चलते हुए पाऐ गए। सबसे अधिक 21 प्रतिशत बिना सवारी के ऑटो-रिक्शा आऊटर सर्कुलर रोड (वॉल सिटी) वाले रूट में पाऐ गए। वहीं बस स्टैंड के आस-पास एक किलोमीटर के दायरे में प्रति ऑटो सवारी की औसत सिर्फ 2.15 है और 25 प्रतिशत ऑटो इस दायरे में खाली रहते हैं। वहीं शहर में चलने वाले ऑटो रिक्शा में से 71 प्रतिशत डीजल वाले हैं और जी.टी रोड (छहरटा से गोल्डन गेट तक) रूट पर चलने वाले ऑटो में से 81 प्रतिशत डीजल वाले हैं। वहीं आऊटर सर्कुलर रोड (वॉल सिटी) रूट में चलने वाले ऑटो रिक्शा में प्रति ऑटो सवारी का औसत शहर की औसत से भी कम सिर्फ 2.4 सवारी प्रति ऑटो है। 2.6 औसत आक्युपैंसी के साथ यह भी सिद्ध होता है कि छोटे साईज (थ्री प्लस वन) वाले ऑटो रिक्शा शहर के लिए मुफीद है। जिससे की ओवरलोडिंग में कमी आऐगी, ड्राईवरों की कमाई में भी समानता बनी रहेगी तथा छोटा आकार होने के कारण ट्रैफिक जाम भी कम होगा। वहीं स्मार्ट सिटी के अबर्न ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट ने कहा कि शहर में ऑटो रिक्शा की डिमांड और स्पलाई में मुख्य अतंर का कारण अधिक संख्या में ऑटो रिक्शा होना तथा रूट रैशनलाईजेशन ना होना है। रूट रैशनलाईजेशन ना होने के कारण सभी ऑटो बस स्टैंड की तरफ ही चलते हैं। जिससे ना सिर्फ बस स्टैंड में हमेशा ट्रैफिक जाम रहता है, ब्लकि ऑटो वालों की कमाई भी कम होती है। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग नया ऑटो 13 से 16 प्रतिशत की ब्याज दर के साथ खरीदते हैं और उम्मीद के मुताबिक कमाई ना होने का कारण वह ऑटो कि किशतों को समय पर नही भर पाते। उन्होंने कहा कि ऑटो डीलरों को चाहिए की वह पुराने और खस्ता हो चुके ऑटो को रीपलेस करके ही नया ऑटो बेचे जिससे की शहर में ऑटो की संख्या ना बढ़े और मौजूदा ड्राईवरों की कमाई भी कम ना हो।

मौजूदा ऑटो रिक्शा ड्राईवरों को रूट रैशनेलाईजेशन के बारे में सोचना होगाः कोमल मित्तल

कोमल मित्तल।

स्मार्ट सिटी की सीईओ व नगर निगम कमिश्नर कोमल मित्तल ने बताया कि इस सर्वे से यह साफ-साफ पता चलता है कि शहर में डिमांड से अधिक ऑटो रिक्शा चल रहे हैं और नया ऑटो खरीदकर चलाना अब घाटे का सौदा है। मौजूदा ऑटो रिक्शा ड्राईवरों को रूट रैशनेलाईजेशन के बारे में सोचना होगा ताकि उनकी कमाई में एक समानता बनी रहे। सर्वे से प्राप्त किए गए डाटा का अभी और गहन विशलेषण किया जा रहा है और इसके नतीजों को बाद में ड्राईवरों की रजिस्टर्ड एसोसिएशन की साथ भी साझा किया जाएगा।

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