अमृतसर, 12 सितम्बर (राजन): डायरैक्टर, कृषि और किसान भलाई विभाग पंजाब, डा. सुतंतर कुमार ऐरी की तरफ से जिला अमृतसर के कृषि अधिकारियों के साथ मीटिंग की गई। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग पंजाब सरकार की तरफ से बासमती की फ़सल पर 9 खेती जहरों का प्रयोग न करने की सिफारिश की गई है जिनमें ऐसीफेट, ट्राईजोफ़ास, थाईयामिथौकसम, कारबैंडाजिम, ट्राईसाईकलाजोल, बुपरोफेजिन, कार्बोफ्यूरान, प्रोपीकोनाजोल और थायउफिनेट मिथायल शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यदि इन जहरों का प्रयोग बासमती की फ़सल पर कीड़े-मकौड़े और फफूँद रोग को कंट्रोल करने के लिए किया जाये तो इन नो जहरों के अंश बासमती चावल में मौजूद रहते हैं जिस कारण बाहर के मुल्कों में बासमती चावल एक्सपोर्ट नहीं किए जा सकते। इसलिए इन जहरों का प्रयोग न करते हुए रसायन मुक्त बासमती पैदा करना समय की मुख्य ज़रूरत है। उन्होंने कृषि अधिकारियों को कहा कि किसानों को इस प्रति जागरूक किया जाए।
इसके इलावा उन्होंने कहा कि माननीय नेशनल ग्रीन ट्रबयूनल की हिदायतों अनुसार धान की पराली और व्यर्थ पदार्थों को आग लगाने की मुकम्मल तौर पर पाबंदी है। इसलिए किसानों के साथ निजी स्तर पर संबंध कायम किया जाए और किसानों को इस प्रति जागरूक करते हुए इन्नसीटू स्टराय मैनेजमेंट करने के लिए लामबद्ध किया जाए। उन्होंने कहा कि पिछले समय दौरान किसान ग्रुपों और सहकारी सभाओं को दिए खेती यंत्रों का सभ्य प्रयोग करके पराली की खेत में ही संभाल की जाए।
डा. गुरदयाल सिंह बल्ल मुख्य कृषि अधिकारी ने कहा कि किसानों को खेती इन्नपुट की मानक स्पलाई यकीनी बनाने के लिए इनफोर्समैंट टीमों का गठन किया गया है और इसमें किसान सदस्यों की शिरकत भी करवाई जाएगी। मीटिंग में उपस्थित कृषि अधिकारियों के साथ दूसरे खेती विकास के कामों पर भी विचार चर्चा की गई।
इस अवसर पर अवतार सिंह बुट्टर, जतिन्दर सिंह गिल, तजिन्दर सिंह, प्रितपाल सिंह, सतबीर सिंह, जोगराजबीर सिंह गिल, मनिन्दर सिंह, हरशरनजीत सिंह (सभी कृषि अधिकारी), सुखबीर सिंह संधू (प्रधान पी.डी.एस.ए), हरभिन्दर सिंह, ऐसे: रणबीर सिंह रंधावा, परजीत सिंह औलख, सुखचैन सिंह, बलविन्दर सिंह छीना, सुखमिन्दर सिंह उप्पल, हरदीप कौर, सतविन्दर कौर, अमरदीप सिंह, कृषि अधिकारी भी मौजूद थे।
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