
अमृतसर, 5 अक्टूबर (राजन): नगर निगम वर्तमान सदन की पौने 5 वर्षों में वित्त एंड ठेका कमेटी की कुल 32 बैठक हुई है। नगर निगम की सबसे महत्वपूर्ण वित्त एंड ठेका कमेटी की बैठक भी प्रत्येक माह में होनी चाहिए। वर्तमान निगम सदन से पहले निगम सदन के मुकाबले में कम बैठक हुई हैं। वित्त एंड ठेका कमेटी को निगम सदन की कैबिनेट कमेटी माना जाता है। इस कमेटी में शहर के विकास व अन्य महत्वपूर्ण निर्णय को मंजूरी दी जाती है। कुछ महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट जिसे पहले निगम हाउस से मंजूर नहीं करवाया जाता, उसे भी कमेटी मंजूरी देकर निगम सदन हाउस में जानकारी के लिए ही भेजा जाता है। यहां तक कि कोरोना काल के दौरान वित्त एंड ठेका कमेटी की बैठक में ही नगर निगम के बजट को भी मंजूरी दी गई है। कमेटी की बैठक में अधिकांश प्रस्ताव विकास कार्यों संबंधी ही होते हैं।जिन विकास के कार्यों को निगम सदन हाउस की बैठक से मंजूरी मिलती है। बाद में सरकार से मंजूरी आने के उपरांत ट्रेंडिंग प्रक्रिया शुरू हो जाती है। टेंडरिंग प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत उसके वर्क आर्डर जारी करने के लिए वित्त एंड ठेका के मीटिंग में प्रस्ताव मंजूर होते हैं। कमेटी की मंजूरी के उपरांत वर्क आर्डर जारी कर विकास कार्य शुरू हो जाते हैं।
वर्तमान सदन के कार्यकाल में कमेटी की 32 बैठक हुई
वर्तमान वित्त ठेका कमेटी के चेयरमैन मेयर करमजीत सिंह रिंटू और निगम कमिश्नर, सीनियर डिप्टी मेयर रमण बख्शी, डिप्टी मेयर यूनुस कुमार, पार्षद विकास सोनी और पार्षद गुरजीत कौर सदस्य है। वर्तमान निगम सदन के कार्यकाल पिछले पौने 5 वर्ष में वित्त एंड ठेका कमेटी की 32 बैठक हुई हैं। इनमें साल 2018 में मई , जुलाई, अगस्त, अक्टूबर माह में एक-एक और नवंबर माह में दो बैठक हुई हैं। इसी तरह साल 2019 में जनवरी और मार्च माह में दो और जुलाई, अगस्त, दिसंबर में एक-एक, साल 2020 में मार्च माह में दो, जून माह में तीन, अगस्त, सितंबर, नवंबर में एक-एक, साल 2021 में जनवरी, फरवरी, मई, जून, सितंबर, दिसंबर में एक-एक तथा नवंबर माह में दो और साल 2022 में जनवरी, अगस्त महीने में एक-एक बैठक हुई है।
मंजूरी के बाद कमेटी सदस्यों ने प्रस्तावों पर मोहर नहीं लगाई
पिछले पौने 5 वर्षों में वित्त एंड कमेटी की बैठक दौरान मौके पर विकास कार्यों को तो मंजूरी दे दी गई। किंतु बाद में इन कार्यों के वर्क आर्डर ना जारी होने से कार्य शुरू ही नहीं हो पाए। इनमें कई माह पहले करोड़ों की लागत से सड़क निर्माण के कार्य को मंजूरी मिलने के उपरांत इस कार्य को लेकर एक सदस्य द्वारा कुछ आरोप लगाए गए, तो मामला निगम के लीगल ऑफिसर को भेज दिया गया। उसे बाद में मंजूरी ही नहीं मिल पाई। इसी तरह से करोड़ों रुपयों की लागत से शहर के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में एलइडी स्ट्रीट लाइट लगनी थी। इसको लेकर निगम द्वारा टेंडरिंग प्रक्रिया की गई। निगम ने इसके लिए 5 ई टेंडर लगाए थे। इन पांचों ई टेंडर को भी कमेटी ने मंजूरी दे दी गई। इस पर भी सदस्यों की पूरी तरह से मोहर ना लगने के उपरांत मामला खटाई में पड़ गया। इस करोड़ों रुपयों के पांचो ई टेंडरो के वर्क आर्डर जारी नहीं हो पाए। इसके लिए पंजाब सरकार द्वारा जारी करोड़ों रुपए वापस आने की प्रक्रिया शुरू हो गई। पंजाब सरकार से आई करोड़ों रुपए की ग्रांट वापस जाने से शहर वासियों का तो नुकसान हुआ ही है। अगर इसके वर्क आर्डर जारी होते तो आज शहर में कहीं भी स्ट्रीट लाइट की कमी नहीं दिखनी थी। जबकि इस वक्त शहर में लगभग 20 हजार स्ट्रीट लाइट प्वाइंट की कमी है। इसके अलावा निगम के सिविल और ओएंडएम सेल के भी कुछ विकास कार्य कमेटी के पूरी तरह से निर्णय ना लेने कारण लंबित हो गए हैं। अभी हाल में ही शहर के बीआरटीएस रूट पर लगभग 2500 स्ट्रीट लाइट के साथ-साथ सीसीएमएस बॉक्स लगने हैं। इसका कंपनी को वर्क आर्डर जारी किए हुए भी कई महीने बीत चुके हैं। किंतु उद्घाटन को लेकर अभी तक मामला अटका हुआ है। इस मामले को लेकर यहीं पेच चल रहा है, किस कंपनी की लाइट लगनी है। शहर में 2.33 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक ट्रैफिक सिग्नल लाइट लगाने के लिए कई महीने पहले से ही वर्क आर्डर जारी किया हुआ है। यह प्रोजेक्ट भी उद्घाटन का ही इंतजार कर रहा है।
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