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आप सरकार का विधानसभा में पास प्रस्ताव स्वीकार नहीं, धार्मिक कार्यों में दखलअंदाजी

धामी ने 26 जून को जरनल इजलास की विशेष बैठक को बुलाया

अमृतसर,20 जून (राजन):पंजाब विधानसभा में गुरबाणी प्रसारण को लेकर गुरुद्वारा एक्ट 1925 में संशोधन मते को मिली मंजूरी को एसजीपीसी ने नकार दिया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के  प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने 26 जून को जरनल इजलास की विशेष बैठक  को बुलाया है। जिसमें एक्ट में संशोधन और धर्म में राजनीति की दखलअंदाजी के मुद्दों को उठाया जाएगा।एडवोकेट धामी ने आरोप लगाए हैं कि गुरबाणी प्रसारण को लेकर एसजीपीसी पहले ही कमेटी गठित कर चुकी थी। जिसने अपने विचार भी देने थे। लेकिन एक महीने तक फैसले का इंतजार नहीं किया गया। 21 जुलाई को कमेटी अपने तौर पर कोई ऐसा फैसला न ले ले, कि एसजीपीसी की छवि बन जाए। लोगों के सामने मुख्यमंत्री ने अपनी छवि बनाने के लिए कि यह फैसला जल्दबाजी की है। प्रधान धामी ने कहा पंजाब व सिख इतिहास में यह काले अक्षरों में लिखा जाएगा। अंग्रेजों के समय जब यह एक्ट बनाया गया, अंग्रेज अपनी.एडहॉक कमेटी बनाना चाहते थे। लेकिन उसे माना नहीं गया और सिख पंथ ने अपनी कमेटी बना कर यह एक्ट तैयार किया।

बदलाव के लिए एसजीपीसी अप्रूवल जरूरी

धामी ने कहा कि 1925 में बने इस एक्ट में आज तक कोई छेड़छाड़ नहीं की गई। 1942 में बदलाव किया गया कि अगर इस एक्ट में कोई बदलाव करके भेजना हो तो एसजीपीसी उसे अप्रूव करके भेजे। तब नियमों से बड़ा कस्टम (रिवाज) को समझा जाता था। 1966 से पहले दो बार अमेंडमेंट हुई, क्योंकि पंजाब सांझा था। आज के दिन से पहले जनरल हाउस जो मता डाल कर भेजता था, उस आधार पर बदलाव होता था। यह इसलिए था ताकि कौम व धर्म के साथ जबरदस्ती ना हो, जैसा आज हुआ।

इस कदम से सरकार ने बनाया चोर रास्ता

एडवोकेट धामी ने कहा कि इस कदम के साथ चोर रास्ता खोलने का प्रयास किया गया है, जिसे सिख पंथ में दखल अंदाजी की जा सके। कल को सरकारें कुछ भी कहेंगी। एसजीपीसी को चंडीगढ़ से चलाया जाएगा। ऐसे में एसजीपीसी का कोई वजूद ही नहीं रह जाएगा।

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