तीनों टेंडरो में टेक्निकल इवैल्यूएशन में सभी कंपनियों को डिस क्वालीफाई कर मात्र दो कंपनियों को ही रखा गया
अमृतसर,15 सितंबर (राजन):नगर निगम के सड़कों और गलियों को बनवाने के तीन ई टेंडर एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गए हैं। पहला ई टेंडर 2.54 करोड़ रुपए की लागत से वार्ड नंबर 24,31,32,43,44,45,46,47में सड़केऔर गलियां बनवाने के है। इस टेंडर को सात पार्टियों ने भरा। इसमें चार पार्टियों को डिसक्वालीफाई कर दिया गया। शेष रहती तीन पार्टियों की सेविंग मात्र 1.45 प्रतिशत,1.05 प्रतिशत और 1.55 प्रतिशत आई है। दूसरा ई टेंडर 4.10 करोड़ रुपयो की लागत से वार्ड नंबर 20,21,22,23,25 में सड़के और गालियां बनवाने के हैं। इस टेंडर को सात पार्टियों ने भरा। जबकि इस टेंडर में से पांच पार्टियों को डिस क्वालीफाई कर दिया गया। इसमें भी वही दो पार्टियों ही रह गई। शेष रहती दो पार्टियों की सेविंग मात्र 1.10 प्रतिशत और 1.35 प्रतिशत आई है। इसी तरह से तीसरा ई टेंडर 3.58 करोड़ रुपयो की लागत से वार्ड नंबर 26,27,28,29,30 सड़के और गालियां बननी है।इसमें भी पांच पार्टियों को डिस क्वालीफाई कर दिया गया। शेष रहती दो पार्टियों की सेविंग मात्र .90 प्रतिशत और 1.57 प्रतिशत आई है। जबकि जिन पार्टियों को डिस क्वालीफाई किया गया है, उनकी सेविंग बहुत अधिक है। सभी पार्टियां पहले नगर निगम में और अन्य एजेंसियों में भी बाकायदा तौर पर कार्य कर रही है।
क्या नगर निगम में नूरा कुश्ती की तरह नूरा टेंडरिंग हो रही है
यह तो देखने वाली बात है। जिस तरह पहलवानों में नूरा कुश्ती होती है, क्या नगर निगम में भी नूरा कुश्ती की तरह नूरा टेंडरिंग हो रही है। इन तीनों टेंडर में थोड़ी सी सेविंग पर एक ही पार्टी को टेंडर देने के लिए प्रक्रिया चल रही है। तीनों टेंडर में दूसरी पार्टी स्टैंड बाय पर है। क्योंकि स्टैंडबाय पर रहने वाली पार्टी नगर निगम से पहले ही एक बड़ा प्रोजेक्ट ले चुकी है वह प्रोजेक्ट भी जांच का विषय है और विवादों में गिरा 21.96 करोड़ का टेंडर में सेविंग मात्र.51 प्रतिशत इसी पार्टी की है। इस टेंडर की जांच अभी चल रही है। अब 10 करोड़ से अधिक के तीन टेंडरो में किन-किन अधिकारियों और राजनीतिज्ञ की मिली भगत है। यह भी एक जांच का विषय है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इन टेंडरों के लिए नगर निगम के पास राशि भी उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद भी नगर निगम अधिकारी किसी की परवाह नहीं कर रहे हैं। चाहे इन तीन टेंडर को डील करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने लंबी छुट्टी ले ली है। इसके नीचे वाला अधिकारी भी पहले से ही सवालों के घेरे में है। क्योंकि इस अधिकारी की जुलाई महीने में तबादला होने के आदेश आने के बावजूद भी इसे रिलीव नहीं किया गया।
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विजिलेंस जांच हो तो सच्चाई आएगी सामने
इन तीनों टेंडरो की अगर विजिलेंस पुलिस द्वारा जांच की जाती है, तो सच्चाई सामने आ जाएगी। नगर निगम के पास राशि है नहीं इसके बावजूद नगर निगम ने सड़कों को बनवाने के 50 करोड रुपए,21.96 करोड रुपए और तीन टेंडर 10 करोड़ रुपए के अधिक के जारी करके प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई।विजिलेंस पुलिस की जांच के उपरांत निगम अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
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