अमृतसर, 29 दिसंबर:भारत सरकार द्वारा घोषित वीर बाल दिवस कार्यक्रमों के संबंध में एसजीपीसी ने केंद्र सरकार ओर सीबीएसई से स्पष्टीकरण मांगा है। एसजीपीसी ने इस प्रोग्राम के तहत विभिन्न स्कूलों में बच्चों द्वारा साहिबजादों के चरित्र की नाटकीय प्रस्तुति पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कड़ा नोटिस लिया है। एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि ऐसे किसी भी सिख विरोधी कार्यक्रम को स्वीकार नहीं किया जा सकता। शिरोमणि कमेटी ने इसे सिख सिद्धांतों और परंपराओं के खिलाफ बताया। साथ ही भारत के शिक्षा,संस्कृति और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के साथ-साथ सीबीएसईसे स्पष्टीकरण मांगा है।
सिख सिद्धांतों को बिगाड़ा
शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट धामी ने कहा कि सिख सिद्धांतों, रीति-रिवाजों, परंपराओं और मूल्यों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई सिख मानसिकता को चोट पहुंचाती है। हाल ही में केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक संस्थानों में वीर बाल दिवस को लेकर बड़ी आपत्तियां आ रही हैं। सिख संगत को साहिबजादों की भूमिका निभाने के कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सिख सिद्धांतों को बिगाड़ने वाले इन आंदोलनों पर संज्ञान लेते हुए शिरोमणि कमेटी ने केंद्रीय मंत्रालय और सीबीएसई से अपना रुख रखने को कहा है।
वीर बाल दिवस नाम भी बदलने के लिए कहा था
शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष ने कहा कि वीर बाल दिवस के संबंध में श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशानुसार इस दिन का नाम बदलने के लिए केंद्र सरकार को पहले ही लिखा जा चुका है, लेकिन सरकार ने आज तक इसे गंभीरता से नहीं लिया है। इस संबंध में शिरोमणि कमेटी और सिख संगत की चिंता सिख परंपराओं के खिलाफ जाने का नतीजा है। अब बच्चों से साहिबजादों की भूमिका निभाने की कोशिश की जा रही है।
केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी
एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि इस सिख विरोधी घटना की जिम्मेदारी सीधे तौर पर केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों की है। ऐसे कार्यों को सिख जगत कभी भी स्वीकार नहीं कर सकता। साहिबजादों के चरित्र को चित्रित करने वाले शिक्षण संस्थानों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
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