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लावारिस हो रही नगर निगम को कब मिलेगा वारिस ;नगर निगम चुनाव ना करवाने पर पंजाब सरकार और चुनाव आयोग सोमवार को हाई कोर्ट में देगा जवाब

नगर निगम कार्यालय की तस्वीर।

अमृतसर, 14 जनवरी (राजन): लावारिस हो रही नगर निगम को वारिस कब मिलेगा, यह बात शहर वासियों  की जुबान पर आमतौर पर है।पंजाब में 5 नगर निगमों के कार्यकाल पूरा हुए लगभग एक वर्ष बीत जाने के बाद भी चुनाव न करवाने के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में अमृतसर से समाज सेवक प्रमोद चंद्र बाली ने  जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार व राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट की बेंच ने सोमवार 15 जनवरी को अगली सुनवाई पर चुनाव कार्यक्रम पेश करने के आदेश दिए हैं।नगर निगम चुनाव ना करवाने पर पंजाब सरकार और चुनाव आयोग सोमवार को हाई कोर्ट में जवाब देगा।

जनवरी 2023 में नगर निगमो का कार्यकाल पूरा हुआ था

अमृतसर के समाज सेवक  प्रबोध चंद्र बाली द्वारा याचिका में कहा गया है कि जनवरी 2023 में नगर निगमों का कार्यकाल पूरा होने से पहले चुनाव कराए जाने की आवश्यकता थी। क्योंकि यह अनिवार्य है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 249-यू के साथ-साथ पंजाब नगर निगमों की धारा-7 के तहत भी ऐसा करना होता है। राज्य चुनाव आयोग ने अधिसूचित नहीं की अनुसूची इन चुनावों का संचालन न करके, राज्य सरकार ने लगभग एक वर्ष तक मतदाताओं को उनके मूल्यवान लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किया है। राज्य चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव कराने की अनुसूची को अधिसूचित नहीं किया है। अब कल देखना होगा हाई कोर्ट में पंजाब सरकार और चुनाव आयोग द्वारा क्या जवाब दिया जाता है ?

नगर निगम के इतिहास में यह पहली बार हुआ

नगर निगम के इतिहास में यह पहली बार हुआ है पिछले 1 साल में नगर निगम के चुनाव ही नहीं हुए हैं। नगर निगम अमृतसर का मेयर पहली बार साल 1990 में ओमप्रकाश सोनी बने थे। मेयर ओम प्रकाश सोनी का कार्यकाल पूरा होने के उपरांत तब कुछ महीने नगर निगम चुनाव देरी से हुए थे। इसके उपरांत सुभाष शर्मा मेयर चुने गए। इस हाउस के बीच किसी कारण सुभाष शर्मा को इस्तीफा देना पड़ा।तब बृजमोहन कपूर मेयर चुने गए। इसके उपरांत सुनील दत्ती मेयर चुने गए। फिर श्वेत मलिक  औऱ बख्शी राम अरोड़ा मेयर चुने गए। साल 2018 में करमजीत सिंह रिंटू मेयर चुने गए। जनवरी 2023 में नगर निगम का कार्यकाल समाप्त हो गया। पिछले 1 वर्ष से नगर निगम चुनाव न होने से  निगम का कोई भी मेयर और हाउस नहीं है। साल 1995 में मेयर ओमप्रकाश सोनी का कार्यकाल पूरा होने पर कुछ महीने तक निगम कमिश्नर ने हाउस की कमान संभाल ली थी। तब निगम कमिश्नर ने नगर निगम एडिशनल कमिश्नर, सहायक कमिश्नर, दो निगरण इंजीनियर, डीसीएफए औऱ एल ए की एक हाउस कमेटी बना दी थी। इस हाउस कमेटी का चेयरमैन खुद निगम कमिश्नर था।तब हाउस में डालने वाले प्रस्ताव कमेटी के अधिकारियों द्वारा तय करके एजेंडा ब्रांच के माध्यम से मंजूरी के लिए निगम कमिश्नर को भेजे जाते थे। निगम कमिश्नर की मंजूरी के बाद प्रस्ताव लोकल बॉडी विभाग को मंजूरी के लिए भेजा जाता था। पिछले 1 वर्ष से  नगर निगम हाउस नहीं है और ना ही अधिकारियों की हाउस कमेटी बनी है।

पक्के तौर पर निगम कमिश्नर भी नहीं है

निगम कमिश्नर, मेयर और हाउस ना होने से शहर की 85 वार्ड इस वक्त लावारिस चल रही है। पिछले साल 5 दिसंबर को नगर निगम कमिश्नर राहुल का तबादला बठिंडा नगर निगम में हो गया था।40 दिन बीत जाने के उपरांत अभी तक पक्के तौर पर नगर निगम कमिश्नर नियुक्त नहीं हुआ है। लोकल बॉडी विभाग के मुख्य सचिव द्वारा 15 दिसंबर को अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर को नगर निगम कमिश्नर का भी चार्ज दिया था। किंतु डीसी कार्यालय में कामकाज का अधिक बोझ होने के कारण डिप्टी कमिश्नर निगम कमिश्नर का कार्य पूरी तरह से नहीं कर पा रहे हैं। जिससे नगर निगम के कार्य काफी प्रभावित हो रहे हैं। विकास कार्यों का पिछले लंबे अरसे से कोई भी नया टेंडर नहीं लगा हैं और कोई भी वर्क आर्डर जारी नहीं हो रहा है। ठेकेदारों ने भी विकास के कार्य बंद कर दिए हैं।

पक्के तौर पर निगम कमिश्नर ना होने पर निगम को यह हो रहा है नुकसान

पक्के तौर पर नगर निगम कमिश्नर ना होने पर निगम को काफी नुकसान हो रहा है। नगर निगम के सभी विभाग इस वक्त आमदनी से काफी पीछे  चल रहे हैं। निगम के प्रॉपर्टी टैक्स विभाग का वार्षिक लक्ष्य  45 करोड रुपए है, जबकि विभाग द्वारा इस वक्त तक 31.64 करोड रुपए आमदनी, वाटर सप्लाई सीवरेज बिल का लक्ष्य 15 करोड रुपए है, जबकि विभाग द्वारा अब तक 7.19 करोड रुपए एकत्रित किए हैं। इसी तरह से लाइसेंस विभाग का वार्षिक लक्ष्य 4 करोड रुपए है, विभाग द्वारा लगभग 73 लाख रुपए एकत्रित और विज्ञापन विभाग का वार्षिक लक्ष्य 12 करोड़ रुपए, लैंड विभाग का 29 करोड रुपए, एमटीपी विभाग का 62 करोड रुपए वार्षिक लक्ष्य है। किंतु यह तीनों विभाग भी अपनी लक्ष्य वाली आमदनी से काफी पीछे चल रहे हैं। वित्त वर्ष को पूरा होने में 75 दिन ही शेष बचे हैं। एमटीपी विभाग के नक्शे व अन्य मंजूरी के लिए  5 दिसंबर के बाद कोई भी निगम कमिश्नर लोगइन में नहीं है। जिससे एमटीपी विभाग का सारा कार्य रुका पड़ा है।

स्मार्ट सिटी प्रोजेकटो पर भी पड़ेगा असर

अमृतसर स्मार्ट सिटी लिमिटेड का सीईओ भी नगर निगम कमिश्नर होता है। किंतु इस वक्त स्मार्ट सिटी लिमिटेड सीईओ ना होने से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टर पर भी इसका असर पड़ेगा। पिछले दिनों केंद्र सरकार के  स्मार्ट सिटी प्रोजेकटो के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यह कहा गया था कि अगर 19 जनवरी तक स्मार्ट सिटी लिमिटेड में पड़े भुगतान को खर्च न किया गया तो केंद्र सरकार से अमृतसर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के लिए अगली किस्त जारी नहीं होगी।इसे भी मात्र चार दिन ही रह गए हैं। अमृतसर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के चल रहे प्रोजेकटो और पूरे हो चुके प्रोजेक्ट  का पिछले लंबे अरसे से कोई भुगतान नहीं हो रहा है। यहां तक की डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली कंपनी का औऱ सीएफसी सेंटर का भी भुगतान नहीं हो पाया है।नगर निगम द्वारा कई प्रोजेकटो का कार्य पूरा हो चुका है औऱ कुछ विकास कार्य के प्रोजेक्ट चल भी रहे हैं। इसके लिए नगर निगम के पास ग्रांट पड़ी हुई है। किंतु इसका भी भुगतान पिछले लंबे अरसे से नहीं हो रहा है। अब तो नगर निगम के ठेकेदारों द्वारा सभी विकास के कार्य बंद कर दिए गए हैं। भुगतान न मिलने के कारण कुछ ठेकेदार हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं।

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