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पक्के तौर पर नगर निगम कमिश्नर ना होने से निगम को हो रहा करोड़ो का वित्तीय नुकसान, लोग भी धक्के खा रहे

नगर निगम कार्यालय की तस्वीर।

अमृतसर, 17 जनवरी (राजन):नगर निगम में पक्के तौर पर निगम कमिश्नर ना होने से निगम को करोड़ो का वित्तीय नुकसान हो रहा है। पिछले साल 5 दिसंबर को  निगम कमिश्नर राहुल का तबादला नगर निगम बठिंडा में हो गया। इसके उपरांत नगर निगम में पक्के तौर पर कमिश्नर की तैनाती नहीं हुई है। एमटीपी विभाग ने  शहर में कोई भी सी एल यू,  कमर्शियल निर्माण के नक्शे, कॉलोनी को  अप्रूव करने तथा कमर्शियल किसी भी तरह की एन ओ सी की मंजूरी देने का अधिकार निगम कमिश्नर के पास हैं। 5 दिसंबर के बाद निगम कमिश्नर ना होने से एमटीपी विभाग में यह कोई भी कार्य नहीं हुआ है, जिससे विभाग को  कोई भी राशि टैक्स के रूप में नहीं आई है। जिससे नगर निगम को करोड़ो रुपयो का नुकसान हो चुका है। जिन लोगों ने उक्त सभी कार्य करवाने हैं, वह निगम कार्यालय के धक्के खा रहे हैं।अगर सरकार द्वारा नगर निगम कमिश्नर की जल्द तैनाती नहीं की गई तो इसका आने वाले दिनों में शहर पर बहुत बुरा असर पड़ जाएगा ।

किसी भी ठेकेदार का नहीं हो रहा भुगतान, ना ही लग रहे टेंडर

नगर निगम द्वारा शहर का विकास करवाया जाता है। शहर में पिछले डेढ़  महीना में विकास करवाने वाले किसी भी ठेकेदार का भुगतान नहीं हुआ है। चाहे ठेकेदारों को भुगतान  करने के लिए बैंकों में राशि उपलब्ध है। इसमें पंजाब सरकार से सड़कों को बनवाने के लिए आई राशि, एन कैप के प्रोजेक्ट और विशेष कर अमृतसर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के करोड़ो रुपयो के भुगतान शेष है। विकास के बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य करने वाले ठेकेदारों ने कार्य बंद करवा दिए हैं। इसके साथ-साथ  नगर निगम द्वारा शहर की वार्डों में विकास कार्य करवाए जाते हैं, पिछले लंबे समय से इन ठेकेदारों के भी भुगतान नहीं हुए हैं। छोटे ठेकेदारों ने भी विकास कार्य बंद किए हुए हैं। सबसे महत्वपूर्ण विकास कार्य का कोई भी नया टेंडर नहीं लग रहा है। लोकल बॉडी विभाग से करोड़ो रुपयो के विकास कार्यों के टेंडर वेट होकर नगर निगम के पास आए हुए हैं। किंतु निगम कमिश्नर ना होने से इसका भी वर्क आर्डर जारी नहीं हो रहा है। इसके साथ-साथ नगर निगम में किसी भी बड़े काम को मंजूरी नहीं मिल रही है।

सफाई व्यवस्था भी ठप्प हो सकती है

नगर निगम द्वारा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने की सफाई व्यवस्था का ठेका एक कंपनी को दिया हुआ है। चाहे कंपनी द्वारा नियम के अनुसार कूड़ा कलेक्शन के लिए कम गाड़ियां निकल जाती है, किंतु फिर भी सफाई व्यवस्था होती है।कंपनी को नगर निगम द्वारा प्रतिमाह लगभग डेढ़ करोड़ रूपया भुगतान किया जाता है। कंपनी को इस वक्त दिसंबर महीने का भुगतान नहीं हुआ है। कंपनी को भुगतान न होने से कंपनी भी अपने  मुलाजिमों  को वेतन जारी नहीं कर पाई है । वेतन न मिलने के कारण पिछले दो दिनों कंपनी के मुलाजिमो हड़ताल कर दी थी । 2 दिन तक शहर की सफाई व्यवस्था का बुरा हाल रहा था। अब हड़ताल तो समाप्त कर दी गई है  किंतु कंपनी का भुगतान न होने से शहर की सफाई व्यवस्था भी ठप्प हो सकती है।

रिकवरियो पर पढ़ रहा बुरा असर

नगर निगम की आमदनी वाले विभाग को भी निगम कमिश्नर के न होने के कारण रिकवरियों पर बुरा असर पड़ रहा है। एमटीपी विभाग की तो रिकवरी ठप्प पड़ी हुई है। निगम की सेल हो प्रॉपर्टी के लिए भी अंतिम मंजूरी निगम कमिश्नर से लेनी पड़ती है । नगर निगम अपनी कोई भी जमीन निगम कमिश्नर की मंजूरी के के बाद ही बेच सकता है। निगम के बजट में साल का सेल ऑफ़ प्रॉपर्टी का वार्षिक आमदनी 20 करोड रुपए रखी हुई है। निगम को इस वित्त वर्ष में सेल का प्रॉपर्टी की आमदनी जीरो है। प्रॉपर्टी टैक्स डिफॉल्टरो और स्कूरटनी के केसों की अंतिम मंजूरी निगम कमिश्नर से ही लेनी होती है। नगर निगम कमिश्नर पक्के तौर पर न होने से निगम अधिकारी भी अपने-अपने कार्यालय से अक्सर गायब रहते हैं ।

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