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नगर निगम अमृतसर: मेयर चुनाव के लिए हैरानी करने वाले खुलासे सामने आ रहे; बहुमत पाने के लिए हदे हो रही पार

नगर निगम अमृतसर कार्यालय  की तस्वीर।

अमृतसर,29 दिसंबर( राजन गुप्ता): नगर निगम अमृतसर मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं है। निगम चुनाव में सबसे अधिक 40 सीट कांग्रेस पार्टी को मिली। आम आदमी पार्टी को 24 सीटे , भाजपा को 9 सीटे ,शिअद को 4 सीटे और 8 सीटे आजाद उम्मीदवार को मिली हैं। सबसे अधिक 40 सीटे हासिल करने वाली कांग्रेस पार्टी गुडबाजी में बटी हुई है। जिस कारण बहुमत का आंकड़ा 46 और अगर मेयर चुनाव नोटिफिकेशन के बाद अटारी और जंडियाला गुरु विधानसभा क्षेत्र को भी जोड़ लिया गया तो बहुमत का आंकड़ा 47 तक पहुंच जाएगा। कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों से पता चलता है कि कांग्रेस का एक गुट हर हालत में अपना ही मेयर बनाने के लिए हर तरह का पेंतरा अपनाकर पूरी तरह से जोर आजमाइश कर रहा है। जिसको लेकर हैरानी करने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं।

सत्ताधारी AAP की ओर आजाद व अन्य उम्मीदवारों का रुझान

वैसे तो नगर निगम चुनाव में आजाद जीते उम्मीदवार तथा राजनीतिक पार्टियों से नाराज होने वाले कुछ उम्मीदवारों का रुझान सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की ओर आने की कुछ कुछ सूचनाए मिल रही है। इन सूचनाओं की ” अमृतसर न्यूज अपडेट्स ” पुष्टि नहीं करता है। इसके इलावा एक राजनीतिक पार्टी के धड़े द्वारा अपना मेयर बनने के लिए हदे ही पार की जा रही है। साल 1991 से नगर निगम के इतिहास में पहले ऐसा कभी भी नहीं हुआ था कि बहुमत न होने पर मेयर बनाने के लिए हर तरह का पेंतरा अपनाया जा रहा है। ऐसा पहले तब हुआ था कि साल 1997 में भाजपा के बने मेयर सुभाष शर्मा को किसी कारणवश भाजपा हाई कमान के कहने पर साल 2000 में  त्यागपत्र देना पड़ा था। ऐसा उस वक्त हुआ था। भाजपा के बृजमोहन कपूर और कांग्रेस पार्टी के सुनील दत्ती के बीच मेयर  पद के चुनाव के लिए बेलट पेपर के माध्यम से वोटिंग हुई थी। उस वक्त पार्षदों के वोट प्राप्त करने के लिए बहुत कुछ हुआ था जो लिखा नहीं जा सकता। इस बार भी ऐसी ही ” बोलियां “लग रही है । बहुमत पाने के लिए हदे ही पार हो रही है। चुने गए पार्षद उम्मीदवारों को अपनी हक में करने के लिए बहुत कुछ चल रहा है, जिसकी ” अमृतसर न्यूज अपडेट्स”  पुष्टि नहीं करता है । इसकी तो राजनीतिक गलियारों में आम चर्चा है। इस बार तो चुने हुए पार्षदों की वैल्यू बहुत ही बढ़ गई हैं।

मेयर कार्यालय  के भीतर जाने वाला रास्ता।

मेयर पद का चुनाव बेलट से नहीं हाथ खड़े करके भी हो सकता है

दी पंजाब म्युनिसिपल कॉरपोरेशन मेयर इलेक्शन रूल 1991 के अनुसार मेयर, सीनियर  डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव में अगर किसी राजनीतिक पार्टी के पास बहुमत ना हो तो अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार जब खड़े हो जाते हैं, तब चुनाव  बेलट पेपर के अनुसार ही होता है। मेयर का चुनाव हाथ खड़े करवा कर भी हो सकता है।पंजाब गवर्नमेंट गजट  (एक्स्ट्रा .), अप्रैल 20, 2001(CHTR 30, 1923 SAKA) GOVERNMENT OF PUNJAB DEPARTMENT OF LOCAL GOVERNMENT (MUNICIPAL ELECTIONS OFFICE) Notification The 19th April, 2001 के अनुसार मेयर,सीनियर डिप्टी  मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के समय हाउस मीटिंग में मौजूद सदस्य के हाथ खड़े करके भी चुनाव किया जा सकता है। जिस उम्मीदवार के पक्ष में उस वक्त हाउस मीटिंग में मौजूद पार्षद और विधायक ( हाउस सदस्य )अधिक हाथ खड़े करेंगे वह ही मेयर,सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुना जाएगा। इसमें चुने हुए नवनियुक्त पार्षदों की खरीद फरोख्त नहीं हो सकती हैं।

अप्रैल 20, 2001(CHTR 30, 1923 के नोटिफिकेशन की कॉपी

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