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पंजाब सरकार के स्थानीय निकाय विभाग ने अवैध बनी बिल्डगो को रेगुलर करने के लिए ‘वन टाइम सेटेलमेंट’ का ड्राफ्ट किया जारी

शहर में बनी अवैध बिल्डिंगो मालिकों को मिलेगी राहत, नगर निगम को करोड़ों रुपए हो सकते हैं एकत्रित
“वन टाइम सेटेलमेंट” में कमर्शियल के लिए 750 रुपए प्रति फीट तथा रेजिडेंशियल के लिए 250 रुपए प्रति फुट रखें गए


अमृतसर,9 अगस्त( राजन ): पंजाब सरकार के स्थानीय निकाय विभाग द्वारा अवैध बनी बिल्डिंगों को रेगुलर करने के लिए ” वन टाइम सेटेलमेंट ” पॉलसी का ड्राफ्ट जारी किया है तथा 16 अगस्त तक अंतिम कमैंट्स मांगे हैं। पता चला है कि अब यह पॉलिसी लागू होने जा रही है। नवजोत सिंह सिद्धू जब स्थानीय निकाय मंत्री थे, अवैध बिल्डिंगों को लेकर वन टाइम सेटेलमेंट पॉलिसी जारी की गई थी। पिछले लंबे समय से जारी की गई हो उसी पर रोक लगी हुई थी। उस समय जारी की गई पालिसी में काफी संशोधन  कर दोबारा ड्राफ्टिंग भेजी गई है। पहले पॉलिसी में  कमर्शियल बिल्डिंग के लिए एक हजार रुपए प्रति फ़ीट तथा रिहायशी बिल्डिंग के लिए 500 रुपए प्रति फीट भाव रखा हुआ था। इस ड्राफ्ट में भाव कम कर के  कमर्शियल के लिए750 रुपए प्रति फीट तथा रिहायशी के लिए 250 रुपए प्रति फीट कर दिया गया है। अभी भी कुछ विशेषज्ञ कह रहे हैं कि रेगुलर कराने के लिए कुछ और भाव कम होने चाहिए। बिल्डिंग की हाइट 50 फीट तक रखी गई है। डायरेक्टर लोकल बॉडी विभाग द्वारा जारी इस पॉलिसी के ड्राफ्ट में अन्य भी काफी शर्तें रखी गई है।

बिल्डिंग मालिकों को राहत के साथ-साथ निगम को 50 करोड़ रुपए  एकत्रित हो सकता है
महानगर में इस वक्त बहुत अधिक संख्या में बिल्डिंग बाइलॉज की अनदेखी करके अवैध कमर्शियल तथा रिहायशी बिल्डिंग बनी हुई है या निर्माणाधीन है। इन बिल्डिंग मालिकों पर नगर निगम की तलवार हर समय लटकी रहती है। कुछ बिल्डिंगों के तो अदालतों में ही केस विचाराधीन है। वन टाइम सेटेलमेंट पॉलिसी लागू होने से  इन बिल्डिंग मालिकों को भारी राहत मिलेगी। इन बिल्डिंग मालिकों द्वारा अपनी अपनी बिल्डिंगे रेगुलर करवाने के एवज में नगर निगम को भी करोड़ों रुपए टैक्स एकत्रित होगा। एक अनुमान के अनुसार नगर निगम को इस पॉलिसी के तहत 50 करोड़ रुपयों से अधिक राशि आ सकती है।

वॉल्ड सिटी तथा गलियारा के आसपास के होटल इस पॉलिसी में नहीं आएंगे। इन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस विचाराधीन है। अगर उपरोक्त सभी क्षेत्र भी इस वन टाइम सेटेलमेंट पॉलिसी में आ जाए तो होटल वालों को राहत मिलने के साथ-साथ नगर निगम को भी इनसे 150 करोड़ रुपयों से अधिक टैक्स आ सकता है।

 

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