
अमृतसर,11 अप्रैल(राजन):बीबीके डीएवी कॉलेज फॉर विमेन ने आर्य समाज के 147वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। पद्मश्री डॉ. हरमोहिंदर सिंह बेदी, चांसलर, केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश और डॉ. सुधा नरेंद्र, प्रमुख, हिंदी विभाग और निदेशक, एचआरडीसी, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर इस आयोजन के लिए संसाधन व्यक्ति थे। प्रिंसिपल डॉ पुष्पिंदर वालिया ने अतिथियों का स्वागत करते हुए आर्य समाज के दस मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वैदिक ज्ञान, सामुदायिक सेवा और सामान्य भलाई की खोज आर्य समाज का मूल है।
अपने संबोधन में प्रो. डॉ. सुधा जतिन्द्रा ने कहा कि आर्य समाज हमें सकारात्मकता और तत्परता के साथ जीवन जीने की कला सिखाता है। आर्य समाज ने बाल विवाह और सती प्रथा जैसी कई सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एक स्टैंड लिया है। स्वामी दयानंद ने हमें अपने राष्ट्र, भाषा और धर्म पर गर्व करना सिखाया।
डॉ. हरमोहिंदर सिंह बेदी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती और उनकी शिक्षाएं आधुनिक भारत की शिक्षा प्रणाली की आवश्यकताओं और आवश्यकताओं को समझने में हमारी मदद कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के बिना भारतीय शिक्षा का इतिहास नहीं लिखा जा सकता। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के संदेश को बनाए रखने और समर्थन करने के लिए स्वामी दयानंद के सभी व्याख्यानों को एक पुस्तक के रूप में एकत्र करने का प्रयास किया जा रहा है।
स्थानीय प्रबंध समिति के अध्यक्ष सुदर्शन कपूर ने संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉ पुष्पिंदर वालिया और आर्य यवती सभा को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत में महिला शिक्षा महिला सशक्तिकरण की दिशा में स्वामी जी के प्रयासों का उपहार है।
इस अवसर पर डॉ. अनीता नरिंदर, प्रमुख, हिंदी विभाग, डॉ. शैली जग्गी, नोडल अधिकारी सहित अन्य स्टाफ सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे। Attachments area