
अमृतसर,21 अप्रैल(राजन):श्री गुरु तेग बहादुर जी का 401वां प्रकाश पूरे देश में मनाया जा रहा है। अमृतसर में उनके जन्मदिवस पर विशेष तैयारियां की गई हैं। श्री गुरु का महल, वहीं स्थान हैं, जहां सिखों के नवमें गुरु श्री गुरु तेग बहादरु जी ने जन्म लिया। सिख धर्म के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर का 21अप्रैल को उनकी जयंती मनाई जाती है। वर्ष 1621 में जन्मे श्री तेग बहादुर श्री हरगोबिंद साहिब के सबसे छोटे पुत्र थे। गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म बैसाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर में श्री गुरु का महल में हुआ था। पूरा विश्व उन्हें योद्धा के रूप में जानता है, क्योंकि उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए 14 वर्ष की उम्र में ही मुगलों के खिलाफ तलवार उठा ली थी। उनके बचपन का नाम त्यागमल था।
फूलों से सजाया गया गुरु का महल

401वें प्रकाश पर्व पर गुरु जी के जन्म स्थान गुरुद्वारा गुरु का महल को विशेष किस्म के फूलों व लाइटों से भव्य तरीके से सजाया गया है। गुरुद्वारा साहिब प्रकाश पर्व पर भव्य गुरमति कार्यक्रम गुरुद्वारा गुरु का महल व गुरुद्वारा मंजी साहिब दीवान हाल में आयोजित किए जा रहे हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए लंगर का भी विशेष प्रबंध किया गया है।गुरु का महल अमृतसर में श्री दरबार साहिब के बिल्कुल करीब स्थित है। गुरु का महल की बात करें तो यह वह स्थान हैं, जहां श्री गुरु तेग बहादुर जी का जन्म तो हुआ ही। इसके साथ ही यह स्थान श्री गुरु रामदास जी, श्री गुरु अर्जन देव जी और श्री गुरु हरगोबिंदर साहिब जी का निवास स्थान भी रहा है। इसी स्थान से माता गंगा जी संतान प्राप्ती के लिए हाथ से प्रसादे तैयार कर झबाल बाबा बुढ्ढा जी के पास गए थे। आज भी इस महल में पुरान खूह मौजूद है, जहां से गुरु साहिब पानी लिया करते थे।

श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन की कुछ बातें
1. गुरु तेग बहादुर सिंह हिंदुओं को जबरन मुस्लिम बनाए जाने के सख्त खिलाफ रहेऔर उन्होंने खुद भी इस्लाम कबूलने से मना कर दिया था।
2. जब मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में लोगों को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया गया था। उस समय, उन्होंने गैर-मुसलमानों को जबरन मुस्लिम बनाए जाने का विरोध किया था जिसके बाद औरंगजेब के आदेश पर उनकी दिल्ली में हत्या कर दी गई।
3. गुरु तेग बहादुर सिंह के बचपन का नामत्यागमल था। लेकिन कम उम्र में ही मुगलों के खिलाफ बहादुरी से जंग लड़ने की वजह से उन्हें तेग बहादुर का नाम दे दिया गया। जिसका मतलब होता है तलवार का धनी।
4. उनके निष्पादन जोर दाह संस्कार के स्थलोंको बाद में दिल्ली में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब नाम के सिख पवित्र स्थानों में बदल दिया गया। उनकी फांसी का दिन 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहादत दिवस के रूप में मनायाजाता है।
5. जहां उनकी हत्या की गई थी उस जगहको बाद में गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब नाम के सिख पवित्र स्थानों में बदल दिया गया।
6. गुरु तेग बहादुर सिंह ने साल 1665में आनंदपुर साहिब शहर बनाया और उसको बसाया। वह गुरुवाणी, धर्म ग्रंथों के साथ-साथ शस्त्रों और घुड़सवारी भी जानते
7. इतना ही नहीं उन्होंने 115 शब्द भी लिखेंहैं जो जब पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा हैँ।
अकाल तख्त साहिब से सजाए गए नगर कीर्तन में मनाई 401वीं शताब्दी
नौवें पतशाह श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के 401वें प्रकाश पर्व के अवसर पर शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी सहित बड़ी संख्या में संगत, पंथिक हस्तियां, शिरोमणि कमेटी के सदस्य सभा समितियों के अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस अवसर पर गतका पार्टियों ने सिख मार्शल आर्ट का प्रदर्शन किया और बैंड पार्टियों ने सुंदर धुनों के साथ नगर कीर्तन की शोभा बढ़ाई। इस दौरान एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने नौवें पटशाह गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जयंती पर संगत को बधाई देते हुए कहा कि पिछले साल गुरु साहिब जी की 401वीं जयंती मनाई गई थी और इस बार शताब्दी वर्ष पूरा हुआ। शिरोमणि कमेटी पंथिक परंपराओं के अनुसार पालन कर रही है। इस संबंध में कल (21 अप्रैल) गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हॉल में भव्य गुरमत समागम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सिंह साहिब, संत महापुरष, निहंग सिंह संगठन और सभा समितियों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे। उन्होंने संगत से समारोह में शामिल होने की अपील की। एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि नौवें पतशाह का जीवन और उनकी शहादत धर्म की रक्षा के लिए एक उदाहरण है और सरकारों को इससे प्रेरणा लेकर एक ऐसा कानून बनाना चाहिए जो धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक प्रतीकों पर किसी के हमले को रोक सके। बेअदबी के दोषी लोगों के लिए कड़ी सजा दी जा सके । नगर कीर्तन में शिरोमणि समिति के सदस्य भाई राजिंदर सिंह मेहता, भाई मनजीत सिंह भूराकोहना, भाई राम सिंह, भाई अजायब सिंह अभयसी, बाबा सतनाम सिंह कारसेवा किला आनंदगढ़, प्रधान ग्रंथी भाई मलकीत सिंह, सचिव एस. महिंदर सिंह अहली, एस. प्रताप सिंह, ओएसडी सतबीर सिंह धामी, उप सचिव कुलविंदर सिंह रामदास, एस. बलविंदर सिंह काहलवां, एस. तेजिंदर सिंह पड्डा, एस. श्री दरबार साहिब के प्रबंधक सुखबीर सिंह, सुलुखान सिंह भंगाली, प्रबंधक सुखराज सिंह, एस. बघेल सिंह, अपर प्रबंधक जगतार सिंह, एस. सतनाम सिंह रियाद, एस. श्री इकबाल सिंह प्रमुख, मानद सचिव गुरमीत सिंह, अधीक्षक मलकीत सिंह बहिरवाल, एस. पलविंदर सिंह चित्ता भी शामिल हुए।