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श्री अकाल तख्त के जत्थेदार बोले- लोग बेखौफ होकर राज्य में आएं, पंजाब के हालात ठीक

अमृतसर,14 अप्रैल(राजन):पंजाब के तलवंडी साबो स्थित श्री दमदमा साहिब में बैसाखी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। पुलिस के सख्त पहरे व निगरानी के बावजूद लाखों की संख्या में संगत श्री दमदमा साहिब पहुंच रही है। श्री अकाल तख्त साहिब के जन्थेदार जानी हरपीत सिंह ने संगत का पंजाब के तलवंडी साबो स्थित श्री दमदमा साहिब में बैसाखी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। पुलिस के सख्त पहरे व निगरानी के बावजूद लाखों की संख्या में संगत श्री दमदमा साहिब पहुंच रही है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने संगत का श्री दमदमा साहिब पहुंचने पर धन्यवाद किया।गुरु गोबिंद सिंह जी की तरफ से चलाई गई बंदूक के बारे में बताते हुए ज्ञानी हरप्रीत सिंह संगत को संदेश सुनाते हुए ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि पंजाब के हालात ठीक हैं। राज्य में ना टकराव है, ना दो भाईचारों में तलवारें चली हैं।यहां सरकार के साथ टकराव में कोई गोलियां तक नहीं चली हैं, लेकिन फिर भी पंजाब को गड़बड़ी वाला राज्य कहा जा रहा है । जहां फसाद हुए हैं, लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति खराब हुई है, उन्हें छोड़ कर पंजाब को गड़बड़ी वाला राज्य कहा जा रहा है। पंजाब शांत है और राज्य में अमन-शांति के लिए अरदास भी करते हैं। कई बार शरारती तत्व शांत पानी में पहले पत्थर मारते हैं। बाद में कहा जाता है, देखो पानीहिल रहा है, अशांत है।ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने लोगों को पंजाब आने का न्योता दिया और कहा- बेखौफ होकर व बेपरवाह होकर राज्य में आओ। लापरवाही कभी नहीं बरती, बेपरवाही हमारे अंदर जरूर रहनी चाहिए ।

श्री गुरु अमरदास जी ने शुरू किया था बैसाखी पर्व

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बताया कि सिख परंपरा में यह पावन पर्व श्री गुरु अमरदास जी के समय से ही मनाया जा रहा है। सिख भाई तारो जी ने श्री गुरु अमरदास जी के सामने अपने विचार रखे थे कि एक साझा दिन मनाया जाए, जिस दिन पूरी दुनिया से सिख इकट्ठे हुआ करें। ताकि वे एक दूसरे को जान सकें। गुरुओं ने दो दिनों की घोषणा की। जिसमें बैसाखी की संग्रांद वाले गोइंदवाल साहिब की धरती और दिवाली वाले दिन श्री अमृतसर साहिब संगतों को पहुंचने के लिए कहा। इसके बाद 1706 में श्री दमदमा साहिब में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की तरफ से खालसा स्थापना दिवस मनाया गया था।

ऐतिहासिक शस्त्रों के करवाए दर्शन

श्री दमदमा साहिब में ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सबसे पहले गुरुओं से जुड़े शस्त्र दिखाए। जिनमें श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की श्री साहिब, उनके द्वारा चलाई गई बंदूक और शहीद बाबा दीप सिंह जी की भी श्री साहिब के संगतों को दर्शन करवाए। इसके साथ ही ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शस्त्रों के इतिहास के बारे में भी जानकारी दी।

शस्त्रों के बिना राजनीति नहीं संभव

जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि शस्त्रों के बिना राज संभव नहीं है। आज भी वही देश सबसे अधिक समृद्ध है, जिसके पास सबसे बड़ी ताकत है, सेना है। राजनीतिक ताकतें सिखों को शस्त्रों से जुदा करना चाहती हैं, जो संभव नहीं है ।

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