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आज महाशिवरात्रि, इसे ऐसे समझें महाशिव-रात्रि यानी महाशिव की रात्रि

अमृतसर,18 फरवरी :आज महाशिवरात्रि है। इसे ऐसे समझें महाशिव-रात्रि यानी महाशिव की रात्रि । परंपरा तो इस दिन शिव-पार्वती के विवाह की है, लेकिन असल में इस दिन भगवान शिव पहली बार ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे।शिवपुराण कहता है- वो रात थी और उस ज्योतिर्लिंग के प्रारंभ और अंत का कोई पता नहीं लगा सका। खुद भगवान ब्रह्मा और विष्णु भी नहीं। शिव का यही स्वरूप महाशिव कहलाया और वो रात महाशिवरात्रि।शिव के कई स्वरूप हैं। कई नाम हैं और हर नाम के पीछे कोई कहानी है, कोई ऐसी बात है जो हमें आज भी जिंदगी जीने के कुछ तरीके सिखा सकती है।

शिव के 9 नाम

सारे जीवों के स्वामी हैं इसलिए ईश्वर नाम पड़ा

सारी विद्याओं के पहले गुरु हैं शिव इसलिए नाम है विद्येश्वर

बुराई को ना खुद में उतारें, ना समाज में छोड़ें ये नीलकंठ का संदेश

शिव अघोरी इसलिए क्योंकि भेदभाव नहीं करते हैं

,हमेशा अपने क्रोध पर नियंत्रण हो, व्यवहार में शीतलता का संदेश देते हैं चंद्रशेखर

सबसे कठिन है ध्यान में रहें और खुद को समय दें, ये सिखाते हैं वाघंबरधारी

मौत का डर दूर करते हैं, अकाल मृत्यु से बचाते हैं महाकाल

परिस्थिति कैसी भी हो अपने जीवन मूल्यों को कभी ना झुकने दें, कहते हैं कैलाशवासी

कल्याण करते हैं इसलिए नाम है शंकर

शंकर का अर्थ है कल्याणकारी या शुभ करने
वाला। भगवान शंकर कल्याण करने वाले हैं।

वेद-पुराण कहते हैं “शं करोति सः शंकरः।” जो शमन करता है, मतलब जो सुख देता है वो शंकर हैं।उन्हें शंकर कहा ही इसीलिए जाता है कि वो हर किसी को सिर्फ वरदान ही देते हैं। शिव अपनी आराधना करने वाले किसी भी इंसान में भेद नहीं करते हैं।

चाहे देवता हों या राक्षस। शिव के सामने सब समान हैं। जब-जब दैत्यों पर कोई मुसीबत आई, वे शिव की शरण में गए। शिव ने उन्हें सही रास्ता में भी दिखाया। शिव सिखाते हैं कि आपके मन में दूसरों का भला करने का भाव होना चाहिए। जो कोई आपके सामने मदद की गुहार लगाए और अगर आप सक्षम हैं तो उसे बिना किसी भेदभाव के मदद दें।

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